Tuesday 19 May 2020

|| शेर ||





दुनिया से दूर कहीं ख़ुदा से इश़्क मांगना चाहता हूंँ
फ़क़ीर से मैं हथेली पर इश्क़ का लकीर चाहता हूंँ।

ख़यालात की तिजोरी से दो अनकहे शब्द निकाल
शायराना अंदाज में तुझसे इश्क़ है कहना चाहता हूंँ।

किसी मोहब्बत वाले ग़ज़ल के दो चार शेर पढ़कर
अकेले कहीं बैठकर तेरा ज़िक्र करना चाहता हूंँ।

ज़ालिम ज़माने में मुकम्मल हो ना हो कोई ग़म नहीं
जन्नत में भी प्रिये तेरी रूह से इश्क़ करना चाहता हूंँ।

यहाँ कुछ जलने वाले मोहब्बत की शायरी बिखेर देंगे
स्याही का रंग बदलकर मैं इश्क़ लिखना चाहता हूंँ ।

 🖋🖋 अभिषेक तन्हा
Abhishek Tiwari


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