❤❤तुम्हारे प्रेम का प्रतीक❤❤
वर्षों की तड़प और मौन को चीरता हुआ
अधरों पर तुम्हारे प्रेम का एक नाजुक स्पर्श
ज़रा शरमाते हुए करीब आना पलकें झुकाना
और मुस्कुरा कर यूँ बालों से चेहरा ढ़कना
नि:शब्द सब कुछ बयां करने की आदत
ये सब कुछ तुम्हारे प्रेम का प्रतीक है।
तुम देखना चाहती हो और भी करीब से
मगर नज़रें कुछ पल के लिए ही टिकते हैं
अब तक भला तुम्हारे हाथ कांपते हैं
अपनी हथेलियों में मुझे जकड़ने से
आज तक भोलापन गालों पर झलकती है
ये सब कुछ तुम्हारे प्रेम का प्रतीक है।
🖋🖋🖋 अभिषेक तन्हा..
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वर्षों की तड़प और मौन को चीरता हुआ
अधरों पर तुम्हारे प्रेम का एक नाजुक स्पर्श
ज़रा शरमाते हुए करीब आना पलकें झुकाना
और मुस्कुरा कर यूँ बालों से चेहरा ढ़कना
नि:शब्द सब कुछ बयां करने की आदत
ये सब कुछ तुम्हारे प्रेम का प्रतीक है।
तुम देखना चाहती हो और भी करीब से
मगर नज़रें कुछ पल के लिए ही टिकते हैं
अब तक भला तुम्हारे हाथ कांपते हैं
अपनी हथेलियों में मुझे जकड़ने से
आज तक भोलापन गालों पर झलकती है
ये सब कुछ तुम्हारे प्रेम का प्रतीक है।
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Poetry blog by Abhishek Tanha
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