"प्रिये एक नज़्म लिखते हैं"
चलो प्रिये एक नज़्म लिखते हैं...!!!
तुम मुस्कुरा कर जुल्फें झटक देना
मैं जुल्फों में उलझ कर ठहर जाऊँगा ।
मैं अल्फ़ाज़ पिरोता रहूंगा
तुम तख्तीअ करना।
चलो प्रिये एक गज़ल लिखते हैं...!!!
तुम ज़रा मुझे करीब आने देना
मैं आखों में डूब आहें भरता जाऊंगा।
मैं शेर लिखता रहूंगा
तुम क़ाफ़िया देखना ।
🖋🖋🖋 अभिषेक तन्हा
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चलो प्रिये एक नज़्म लिखते हैं...!!!
तुम मुस्कुरा कर जुल्फें झटक देना
मैं जुल्फों में उलझ कर ठहर जाऊँगा ।
मैं अल्फ़ाज़ पिरोता रहूंगा
तुम तख्तीअ करना।
चलो प्रिये एक गज़ल लिखते हैं...!!!
तुम ज़रा मुझे करीब आने देना
मैं आखों में डूब आहें भरता जाऊंगा।
मैं शेर लिखता रहूंगा
तुम क़ाफ़िया देखना ।
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Poetry blog by Abhishek Tanha
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