|| हृदय के किसी कोने से पुस्तक विश्लेषण ||
हृदय के किसी कोने से पुस्तक को पढ़कर वास्तव में हृदय में एक झंकार उत्पन्न हो गई। यकीन मानिए स्कूल में एनसीईआरटी की किताबों को पढ़ने के बाद के बाद यह पहली ऐसी पुस्तक है जिसे मैंने इतनी शिद्दत और प्रेम से पढ़ा। इतनी उत्सुकता से पढ़ा कि मानों मैं एक-एक शब्द को अपने मन और मस्तिष्क में ताउम्र संग्रहित कर लेना चाहता हूँ। अब भला होता भी क्यों ना जो इतनी बेसब्री से इस पुस्तक का इंतज़ार था।
विलक्षण और बहुमुखी प्रतिभा की धनी शिवानी दीदी की पहली काव्य संग्रह अपने आप में कविताओं का एक अनमोल पिटारा है। इस पुस्तक में लगभग 55 कविताएँ हैं। कविताओं में कहीं प्रकृति से ओतप्रोत होकर काव्यात्मा का उद्वेलित उद्गार दिखता है तो कहीं मानवीय जीवन को कर्म पथ की तरफ़ इशारा करते हुए एक संदेश भी मिलता हैं। कहीं माँ की ममता झलकती है तो कहीं पिता का समर्पण। स्त्री जीवन के पाखंडों पर भी प्रहार किया गया है और स्त्री को संदेश भी दिया गया है। हालांकि ज्यादातर कविताएँ हमें प्रकृति से जोड़ती हैं। आसपास की चीजों को देखकर कविताएँ लिखी गई हैं, अमूमन जिन्हें हम अक्सर देखते हैं लेकिन उस नजरिए से नहीं देख पाते हैं जिस नजरिए से एक कवि देखता देखता है।
एक चीज़ जो मुझे व्यक्तिगत रुप से इस पुस्तक में खटकती है वह है शिवानी दीदी का परिचय।पुस्तक लेखक के व्यक्तित्व और साहित्य नियोजन की परिचायक होती है। चूंकि मैं शिवानी दीदी को व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ, इसलिए यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि पुस्तक में लिखी कविताओं से कहीं बहुत ऊपर उनकी कविताओं का स्तर होता है।हालांकि कविताएँ इनके प्रारंभिक अवस्था की हैं इस लिहाजे से इन्हें कमतर नहीं आंका जा सकता है।
पूर्ण विश्वास के साथ मैं यह कह सकता हूँ कि पाठक का पठनोपरांत अपने आसपास के चीज़ों के अवलोकन का नज़रिया बदल जाएगा। जिस तरीके से अपने आसपास की चीजों का शब्दचित्र एक सुनियोजित,सिलसिलेवार और वास्तविक रूप में उकेरा गया है उससे कविताएँ हमें अपने दृश्य की तरफ़ खींच कर ले जाती हैं और यथार्थ का अनुभव कराती हैं।
अंततः आप सभी से मेरी यही आग्रह है कि इस पुस्तक को एक बार अवश्य पढ़ें।
विश्लेषक : अभिषेक तिवारी
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Poetry blog by Abhishek Tanha
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